सैंद्धांतिक रूप से प्रत्यक्ष विधिनिर्माण के कुछ गुण हैं.
2.
केवल प्रत्यक्ष विधिनिर्माण द्वारा यह लक्ष्यप्राप्त नहीं किया जा सकता.
3.
प्रत्यक्ष विधि-निर्माण की पद्धतियाँजनता द्वारा प्रत्यक्ष विधिनिर्माण संबंधी आंदोलन के दो आधार हैः पहलासैद्धांतिक और दूसरा व्यावहारिक.
4.
इस दृष्टि से यह व्यवस्था सभी चुनावों तथा सभी संसदीय या प्रत्यक्ष विधिनिर्माण में प्रयुक्त होती है।
5.
इस दृष्टि से यह व्यवस्था सभी चुनावों तथा सभी संसदीय या प्रत्यक्ष विधिनिर्माण में प्रयुक्त होती है।
6.
इसके विपरीत प्रत्यक्ष विधिनिर्माण के विरोधियों का तर्क है कि अगरप्रस्तावित कानून को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का अंतिम अधिकार आम लोगोंको दे दिया जाए तो विधायिका में दायित्व की भावना घट जाएगी.